हिन्दू ग्रंथो के अनुसार यादव एवं यदुवंशी पौराणिक नरेश राजा यदु के वंशज है, जिनकी छयालीसवी (46th) पीढ़ी में भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। यादव को अहीर से भी जाना जाता है क्योंकि यादव व अहीर शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची माने गए है। हिन्दू धर्म में यादव क्षत्रिय वर्ग में अंकित है।
यादव वंश भारतीय इतिहास में बहुत प्राचीन है और वह प्राचीन यदुवंशी क्षत्रियों से अर्पित है। यादव वंश में अनेक शूरवीर एवं चक्रवर्ती राजाओं ने जन्म लिया है। जिन्होंने अपनी बुद्धि, बल और कौशल से अनेक साम्राज्य की स्थापना कर भारत और नेपाल में शासन किया। उनमे से एक प्रसीद साम्राज्य है:
यादव / यदुवंशी : एक परिचय :-
जाति ........... यादव / अहीर
वंश .......... चंद्रवंशी क्षत्रिय
कुल .......... यदुकुल / यदुवंशी
इष्टदेव .......... श्रीकृष्ण
ऋषिगोत्र....... अत्रेय /अत्रि...आदि 150 के लगभग
ध्वज ......... पीताम्बरी
रंग ......... केसरिया
वृक्ष ......... कदम्ब और पीपल
हुंकार ......... जय यादव जय माधव
रणघोष ......... रणबंका यदुवीर
निशान ......... सुदर्शन चक्र
लक्ष्य ......... विजय
वंश .......... चंद्रवंशी क्षत्रिय
कुल .......... यदुकुल / यदुवंशी
इष्टदेव .......... श्रीकृष्ण
ऋषिगोत्र....... अत्रेय /अत्रि...आदि 150 के लगभग
ध्वज ......... पीताम्बरी
रंग ......... केसरिया
वृक्ष ......... कदम्ब और पीपल
हुंकार ......... जय यादव जय माधव
रणघोष ......... रणबंका यदुवीर
निशान ......... सुदर्शन चक्र
लक्ष्य ......... विजय
यदुवंश के इस इतिहास को आप यू टयूब (YouTube) पर भी देख सकते है ।
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अहीर / यदुवंशी / यादव शब्द का अर्थ (Meaning of Yadav / Yaduvanshi/ Ahir)
भारतीय विद्वानों के अनुसार, अहीर शब्द संस्कृत के आभीर शब्द का तद्भव रूप है जिसका अर्थ है निडर, अपनी निडरता और क्षत्रिय वंश के कारण की यदुवंशीयों का नाम अहीर पड़ा और यादव एवं यदुवंशी का अर्थ है महाराज यदु के वंशज।
यादव वंश की उत्पत्ति और भगवान श्रीकृष्ण का जन्म (Origin of Yadav Vansh)
विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार यदुवंशियों की पूरी वंशावली इस प्रकार है :-
भगवान ब्रम्हा
(परब्रह्म परमात्मा ने अपने मन से 10 पुत्रों को जन्म दिया जिन्हें मानसपुत्र कहा जाता है। भागवत पुरान के अनुसार ये मानसपुत्र ये हैं- अत्रि, अंगरिस, पुलस्त्य, मरीचि, पुलह, क्रतु, भृगु, वशिस्ठ, दक्ष, और नारद हैं। इन ऋषियों को प्रजापति भी कहते हैं। )
अत्रि ऋषि (ब्रम्हा के Manasputra)
अत्रि ऋषि के पुत्र चन्द्रमा
(इन्हीं से चन्द्रवंश का स्थापना हुई तथा Yadav चंन्द्रवंशी क्षत्रिय कहलाए)
(इन्हीं से चन्द्रवंश का स्थापना हुई तथा Yadav चंन्द्रवंशी क्षत्रिय कहलाए)
चन्द्रमा के पुत्र बुध
बुद्ध के पुत्र पुरुरवा
पुरुरवा के पुत्र आयु
आयु के पुत्र नाहुष
नहुष के पुत्र ययाति
महाराज ययाति की दो पत्नियां से उन्हे 5 पुत्र थे। ययाति का पहला विवाह गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी से हुआ एवं इनसे दो पुत्र हुए :-
1. यदु 2. तुर्वसु
और शर्मिष्ठा महाराज ययाति की दुसरी पत्नी थी तथा इनसे तीन पुत्र हुए और इनसे तीन पुत्र थे :-
3. अनू 4.द्रुहू 5. पुरु
यहीं से चंद्रवंशी क्षत्रिय वंश मे दो महत्वपूर्ण वंश आरम्भ हुए। यदु से यादव (यदुवंशी/अहीर) और पुरु से पुरुवंशी (जिसमे आगे चल कर पांडव ने जन्म लिया)
महाराज यदु (King Yadu) के चार पुत्र थे :-
सहस्रजित् , क्रोष्टा , नल और रिपु
वृष्णि के पुत्र देवमुध
देवमुध के पुत्र शूरसेन
शूरसेन के पुत्र वासुदेव
वासुदेव के पुत्र श्रीकृष्ण
राजकुमार क्रोष्टा ने राज्य का अधिग्रहण किया और पहले यदुवंशी शासक बन गए। जिनकी करीब 33 पीडियो के बाद आए :-
राजा वृष्णि वृष्णि के पुत्र देवमुध
देवमुध के पुत्र शूरसेन
शूरसेन के पुत्र वासुदेव
वासुदेव के पुत्र श्रीकृष्ण
Lord Krishna |
Lord krishna is an incarnation of vishnu: श्रीकृष्ण के रूप में भगवान विष्णु ने मनुष्य के रूप में अवतार लिया था और श्री कृष्ण भगवान् विष्णु के सबसे शक्तिशाली अवतारों में से एक है।
History of Yadav (यादव वंश का इतिहास) / Yadav Vedic Kshatriya
Yadava Dynasty or Seuna (Yadava) Dynasty (c. 850–1334) : भारत के इस यादव राजवंश ने अपने चरमोत्कर्ष काल में तुंगभद्रा से लेकर नर्मदा तक के भूभाग पर शासन किया जिसमें वर्तमान महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, मध्य प्रदेश के कुछ भाग शामिल थे। उनकी राजधानी देवगिरि थी जो वर्तमान में दौलताबाद के नाम से जानी जाती है।
Yadava Dynasty |
राष्टकूटों और चालुक्यों के उत्कर्ष काल में यादव वंश के राजा अधीनस्थ सामन्त राजाओं की स्थिति रखते थे
यादव ने शुरुआत में पश्चिमी चालुक्य के साम्यवादों के रूप में शासन किया, पर यादव साम्राज्य सिमाना II के तहत अपने चरम पर पहुंच गया और 14 वीं शताब्दी तक साम्राज्य का विस्तार किया।